April 1, 2025

सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥
Amitab Singhसठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।फनि मनि सम निज…
April 1, 2025
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।फनि मनि सम निज…
मैं गुरुजी के चरण कमलों की रज की वंदना करता हूं, जो सुंदर स्वादिष्ट, सुगंध…
तारा बिकल देखि रघुराया, दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया।छिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित…
संतों का समाज हमेशा आनंद और कल्याण से भरा होता है, और वह समाज ही…
हमें अपने जीवन में अक्सर ऐसा अनुभव होता है कि मन भक्ति में नहीं लगता।…
जो कुछ राम ने निर्धारित किया है, वही होगा; तर्क और बहस से कुछ नहीं…