छिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित अति अधम सरीरा॥
तारा बिकल देखि रघुराया, दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया।छिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित...
तारा बिकल देखि रघुराया, दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया।छिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित...
संतों का समाज हमेशा आनंद और कल्याण से भरा होता है, और वह समाज ही...