सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।फनि मनि सम निज...
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।फनि मनि सम निज...
मैं गुरुजी के चरण कमलों की रज की वंदना करता हूं, जो सुंदर स्वादिष्ट, सुगंध...