सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।फनि मनि सम निज...
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।फनि मनि सम निज...
मैं गुरुजी के चरण कमलों की रज की वंदना करता हूं, जो सुंदर स्वादिष्ट, सुगंध...
तारा बिकल देखि रघुराया, दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया।छिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित...
संतों का समाज हमेशा आनंद और कल्याण से भरा होता है, और वह समाज ही...
हमें अपने जीवन में अक्सर ऐसा अनुभव होता है कि मन भक्ति में नहीं लगता।...
जो कुछ राम ने निर्धारित किया है, वही होगा; तर्क और बहस से कुछ नहीं...
बहुरूपिए, चाहे वे कितने भी साधु का वेष क्यों न बना लें, उनकी असली प्रकृति...
जब आप अपने हृदय में अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी (श्रीराम) को बसाकर नगर में...
यह चौपाई श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण के सुख और सफलताओं की ओर संकेत करती...
जीवनकाल: 19 नवम्बर 1917 — 31 अक्टूबर 1984 (आयु 66 वर्ष)पद: भारत की प्रधानमंत्री (1966-1977,...